A long lost tribute to 148 Granada

अपनी छोटी सी दुनिया को चंद दब्बों में समेटने की जुर्रत्त की है
मंज़िलें जो भी हो, बुलंदी की दात तो बनती है
फ़ासला दूर नहीं, चार क़दम का ही है बस
लेकिन crockery को bubblewrap करने की ज़रूरत तो बनती है.

घर की हर चीज़ आवाज़ देती है
हमें ना भूलना. हमने साथ निभाया है तुम्हारा
ले चलो हमें भी..हम भी तुम्हारी नयी दुनिया सजाएँगे
वैसे भी, नई ख़रीदने के तुम्हारे पास अब पैसे कहाँ से आएँगे?

छोटा सा था लेकिन बड़ा ही प्यारा था ये घर
हर कमरे से कितनी यादें जुड़ी हैं जैसे
कभी नानी की लोरी और कभी दादू का नारा
और जैसे ही एक लम्बी आस भरो तो दौड़ के ऊधम मचाने आजाती हैं नन्ही सी तारा.

दीवारें वीरान हैं. अलमारियाँ ख़ाली हो गयी
देखते ही देखते यह गलियाँ बेगानी हो गयी
ख़ूब सारी यादें और भरपूर प्यार लिए
अपनी छोटी सी दुनिया को समेट, हम कहीं और चले

एक हाथ में wine और दूसरे मे iPhone लिए
अपनी छोटी सी दुनिया को समेट, हम कहीं और चले!

We moved to this house 5 years ago, and bid adieu to our first ever house 148 Granada. A house where all foundations were built, Tara was born. Found this in the memorabilia 😄

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