मेरी माँ अकेले रहती है
सुबह की चाय से लेके रात की दवाई तक
सब कुछ अकेले सहती है
मेरी माँ अकेले रहती है
आज सुबह चाय बनाने जब उसकी रसोई में गयी
तो उसके अकेलापन का एहसास पहली बार हुआ
नौ साल हो गए हैं पापा को गुज़रे
और उसकी रसोई में बर्तनों की कमी का एहसास आज ज़ार हुआ
देखने में तो सब कुछ है लेकिन
आज इस रसोई में रौनक़ नहीं हैं
किसी के आने का इन्तज़ार नहीं और
किसी के जाने की जल्दी नहीं है
धीरे धीरे सारे काम करती रहती है
किसी से कुछ नहीं माँगती
किसी को कुछ ना कहती है
मेरी माँ अकेले रहती है
सुबह की चाय से लेके रात की दवाई तक
सब कुछ अकेले सहती है
मेरी माँ अकेले रहती है