इस सोच से ही सहम जाता है
कैसे समझें इस कश्मकश को
तुम्हारी फ़िकर रहती है हर वक़्त, और तुम्हारी प्यारी बातों से दिल बहल जाता है
कैसा रिश्ता है यह समझने में भी डर लगता है
तुम्हारे साथ गुज़रा हुआ हर लम्हा मुस्कुराता है
याद आती है वो तनी हुई आँखें
नज़रें ऐसी मिलती हैं जैसे समंदर और लहरें
तुमसे बहुत कुछ समझने और तुमको बहुत कुछ समझाने का मन करता है
तुम्हारे साथ गुफ़्तगू करने का मन करता है
कुछ कहने और बहुत कुछ सुनने का मन करता है
तुम्हारी हँसी में नादानी और चाल में लचक दिखाई देती है
मालूम है मुझे कि एक दिन यह लमहें जो तुम मेरे साथ बिताती हो, यह जो हँसी के ठहाके जो तुम मेरे साथ लगाती हो
उनमें मेरी कोई गुंजाइश नहीं होगी
यह तुम्हारी बचपन की यादें तभी मेरे काम आएँगी, यही तो मेरे मायूस दिल को बरसों तक लुभायेंगीं
और इन ख़यालों में उलझ जाता है
और तुम्हारे साथ बीता हुआ हर लम्हा एक प्यारी सी याद बनके ठहर जाता है ।